Image Slider
Image 2 Image 2 Image 2 Image 2 Image 2
चंदौली

Chandauli News: लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज के डॉ हेमंत कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया सरकार के 2025-26 के बजट का असर

पीडीडीयू नगर: पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर क्षेत्र के नियमताबाद स्थित लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज प्रांगड़ में डा हेमंत कुमार सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र मुगलसराय ने विस्तार से बताया 2025- 26 के बजट का हाल, 31 जनवरी, 2025 को देश का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट और 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया गया।

डा हेमंत कुमार सिंह एसोसिएट प्रोफेसर, अर्थशास्त्र ने कहा कि क्लासिक उदाहरण रहा है कि बजट के माध्यम से अर्थव्यवस्था के असंतुलन को निस्तारित किया जाता है। कभी मांग पक्ष को तो कभी पूर्ति पक्ष को बजट के माध्यम से समायोजित करके अर्थव्यवस्था को प्रगति पथ पर बनाये रखे जाता रहा है। आरंभिक विचारधारा के अनुसार यदि अर्थव्यवस्था में असंतुलन है अर्थात मंदी या स्फीति है तो सरकार को कुछ नहीं करना है। अर्थव्यवस्था कुछ समय बाद अपने आप को स्वयं ठीक कर लेगी। महामंदी के बाद यह विचार ध्वस्त हो गया। इस दौर में यह माने जाना लगा कि मंदी और स्फीति की समस्याएं एक साथ नहीं आएंगी अर्थात दोहरी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

लेकिन कुछ दशकों में अर्थव्यवस्था का स्वरूप अत्यंत जटिल हो गया है। अब अर्थव्यवस्था को स्फीति और मंदी की समस्याओं का एक साथ सामना करना पड़ रहा है। जटिल अर्थव्यवस्था में अनेक सेक्टर और सबसेक्टर बन चुके हैं जिनमें से कोई मंदी की मार झेल रहा है तो कोई स्फीति से पीड़ित है। जाहिर है सरकार को बजट में मंदी और स्फीति दोनों के खिलाफ अस्त्र चलाना है। कहा कि इसका आशय है कि एक तरफ पूर्ति बढ़ाने के लिए निवेश बढ़ाना है तो दूसरी तरफ मांग प्रेरित करने के लिए लोगो के हाथ मे क्रयशक्ति देना होगा।

वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में सरकार ने दोनों समस्याओं के निस्तारण के लिये अनेक प्रस्ताव रखे हैं। सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिये बजट आवंटन 1.75 लाख करोड़ कर दिया है जो पूर्व बर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत ज्यादा है। एम एस एम ई के विकास के लिये सरकारी निवेश 2.5 गुना बढ़ाया जाएगा। सरकार आधार संरचना और सेवा क्षेत्र में भी पूंजी निवेश बढ़ाने जा रही है जिससे देश के पूर्ति पक्ष और उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। बजट में आयकर स्लैब को ऊपर शिफ्ट किया गया है जिससे लोगों की खर्च करने के क्षमता बढ़ेगी। दवा, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रिक कार तथा अनेक उपभोक्ता उत्पाद पर देय कर कम किया गया है, जिससे इनकी खपत बढ़ेगी। संक्षेप में सरकार ने बजट के माध्यम से आर्थिक तंत्र के सभी पक्षों को साधने का प्रयास किया गया है, जिसके असर की समीक्षा कालांतर में की जा सकेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page