Chandauli: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस व शताब्दी वर्ष के 99 वर्ष पूर्ण होने पर दशहरा उत्सव मनाया
चंदौली: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस व शताब्दी वर्ष के 99 वर्ष पूर्ण होने पर रविवार को दशहरा उत्सव मनाया गया। इस दौरान पूर्ण गणवेश में स्वयं सेवकों ने नगर में पथ संचलन किया। पथ संचलन की शुरूआत मां सती बाग स्थित शुभम लान से शुरू होकर पूरे नगर का भ्रमण करते हुए पुनः लान पर पहुंचकर सम्पन्न हुआ। इस दौरान नगरवासियों ने स्वयं सेवकों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। तत्पश्चात अमृत वचन व संघ गीत से कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस दौरान काशी प्रांत के शारीरिक प्रमुख संतोष जी ने स्वयं सेवकों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना के उद्देश्य से अवगत कराया।
कहा कि आरएसएस की स्थापना वर्ष 1925 में किया गया था। लगभग दो वर्षों तक संघ के पास दूसरा कोई काम नहीं था। अपनी एक शाखा नागपुर के अंदर मोहिते में थी। इसमे 13 से 14 की संख्या में बालक आते थे। बताया कि सर्वप्रथम संघ की प्रार्थना हनुमान जी महाराज का चित्र रख किया जाता था। चार पत्तियों मराठी की और चार पत्तियों हिंदी की मिलकर की अपनी प्रार्थना शुरू की गई। बताया कि 1940 ई. के संघ शिक्षा वर्ग में पहली बार की वर्तमान की अपनी जो प्रार्थना की जा रही है वह अपने संघ के वरिष्ठ प्रचारक यादव राव जोशी जी के द्वारा गया गया था। 1947 में स्वतंत्रता हमको प्राप्त हो गई। इसी दौरान गांधी हत्या के कारण संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। सरकार ने तीन-तीन कमेटिया बनाई। जांच समितियों ने अपना रिपोर्ट दिया। उसमें कहीं संघ का उल्लेख नहीं था।
कहा कि आज 42 अनुसांगिक संगठनों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है जो आत्मनिर्भर है स्वयं पूर्ण और सक्षम है। इसलिए हम सबको अपनी इस कार्य का मूल्यांकन एक बार करना चाहिए। पवित्र हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति तथा हिंदू समाज का संरक्षण करना ही संघ का उद्देश्य है। हिंदू राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करने के लिए हम सब अपनी प्रतिज्ञा में स्पष्ट किया है हिंदू संस्कृति तथा हिंदू समाज का संरक्षण करते हुए हिंदू राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य करती है। बताया कि अब तक संध ने तीन-तीन प्रतिबंध को झेल चुका है। इस मौके पर गुलाब जी, दयानंद जी, सतीश, भरत सहित बड़ी संख्या में संघ के स्वयं सेवक उपस्थित रहे।