Chandauli News: 22 साल बाद फैसले से पीड़ित परिवार को कोर्ट से मिला न्याय
चंदौली: वर्ष 2002 में जनपद में हुई हत्या के मामले में न्यायालय ने चंद्र मोहन सिंह की गवाही पर चार अभियुक्तों को सजा सुनाई। लगभग 22 वर्ष बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। विदित हो कि वर्ष 2002 में नगर पंचायत निवासी रामचरण सिंह की हत्या के मामले में सभी चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए विद्वान न्यायाधीश ने उपलब्ध साथियों और गवाही के आधार पर चार अभियुक्त को 10-10 साल की सजा के साथ ही 27000 रुपए का अर्थ दंड की सजा सुनाई। जुर्माना न जमा करने पर अतिरिक्त सजा भी भुगतानी होगी।
22 साल पूर्व हुई इस हत्याकांड मामले में मुख्य गवाह चंद्र मोहन सिंह ने गवाही देकर इस पूरे मामले में दोषियों को सजा दिलाने में सहयोग किया। चंद्र मोहन सिंह रामचरण सिंह को अपना गुरु मानते थे। चंदौली कोतवाली में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या 76/2002 में धारा 304, 323, 504 आईपीसी के तहत गाली गलौज करके मारपीट की गई थी। मारपीट के दौरान गंभीर चोट लगने से रामचरण सिंह की मृत्यु हो गई थी। पीड़ित परिवार ने सदर कोतवाली मे मुकदमा दर्ज कराया था। दर्ज मुकदमे के आधार पर पुलिस और अभियोजन पक्ष की दलील के बाद जिला शासकीय अधिवक्ता संजय कुमार त्रिपाठी की प्रभावी पैरवी से विद्वान न्यायाधीश ने सभी 4 अभियुक्तों को गुरुवार को सजा सुनाई गई।
एसपी डॉक्टर अनिल कुमार द्वारा जनपद में आपरेशन कनविक्शन के तहत की गई पैरवी के बाद बृजेश गुप्ता, राकेश कुमार, सरफराज और विजय चौहान को 10-10 साल के कठोर कारावास के साथ-साथ 27-27 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया है। इन सभी को अर्थदंड न देने की हालत में दो-दो साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। 2002 में चंदौली में लाठी डंडे से पीट कर हुई इस हत्याकांड के मामले में लंबे इंतजार के बाद पुलिस ने गवाही की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद इन सभी आरोपियों को सजा सुनिश्चित कराई गई। बुद्धवार को गवाही पूरी होने के बाद गुरुवार को सजा सुनाते हुए सभी को जेल भेज दिया गया। न्यायालय के फैसले से पीड़ित परिवार ने राहत महसूस की। परिजनों का कहना था कि आखिरकार 22 साल बाद हमें न्याय मिला है।