Chandauli News: महिला चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही बरतने का लगा आरोप, प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने जमकर किया हंगामा
चंदौली। मुख्यालय स्थित एमसीएच विंग में रविवार की रात प्रसूता की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हुआ हंगामा परिजनों ने चिकित्सक पर इलाज में लापरवाही बरतने का लगाया आरोप। बताते चलें कि प्रसूता के इलाज में लापरवाही बरतने वाली आरोपी महिला चिकित्सक को बचाने की नेताओं की पूरी फौज एमसीएच विंग प्रभारी के कार्यालय में उमड़ पड़ी। हद तो तब हो गई जब आरोपी महिला चिकित्सक के पति और सकलडीहा सामुदायिक केंद्र प्रभारी डा संजय यादव खुद पत्नी और महिला चिकित्सक को बचाने की जद्दोजहद में जुट गए और मौके पर पहुंचकर पूरी कमान अपने हाथों में ले ली। किसी ने प्रसूता की मौत पर कोई सहानुभूति तक नहीं दिखाया और मामले को दवाब बनाकर शांत कराने की कवायद में जुट गए। राजनीतिक दबाव से महिला के परिजन अपने दुःख पर सहनशक्ति का पत्थर रखकर लाचार हो गए और सुलह-समझौता कर प्रसूता की बाडी लेकर चलते बने।
बता दें कि सैयदराजा थाना क्षेत्र अंतर्गत बगही गांव निवासी अरविंद सिंह अपनी पत्नी आरूही सिंह ( 24 वर्ष) को पहली बार गर्भवती होने पर 05 दिसंबर को लेकर एमसीएच विंग में भर्ती हुए। अरविंद सिंह ने बताया कि शुरू से ही यहां ही इलाज कराते थे। लेकिन पांच दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराने पर तमाम कारण गिनाकर आपरेशन के बाद बच्ची पैदा हुई। बच्ची स्वस्थ हुई और प्रसूता आरूही सिंह भी स्वस्थ्य थीं। लेकिन रविवार को उनकी हालत में गड़बड़ी हुई तो महिला चिकित्सक डा अंजू यादव को सूचित किया गया, लेकिन उन्होंने कमजोरी का हवाला देते हुए एक बार भी मरीज देखने तक की जहमत नहीं उठाई और मरीज को नर्स के भरोसे छोड़ दिया। कुछ कहने पर रेफर करने की धमकी दी जाती रही। रविवार शाम को प्रसूता पत्नी आरूही सिंह की मौत हो गई। अरविंद सिंह ने आपरेशन के चौथे दिन इलाज में कोताही बरतने के कारण आरूही की मौत हुई तो परिजन आक्रोशित हो उठे और चिकित्सकों से नोक झोंक हो गई।
इलाज में कोताही बरतने के कारण प्रसूता की मौत और इलाज लापरवाही बरतने की आरोपी महिला चिकित्सक डा अंजू यादव को बचाने की जद्दोजहद में एमसीएच विंग पूरा राजनीतिक अखाड़ा बन गया। घटना के बाद चंदौली के दबंग और छुटभैये नेताओं की पूरी फौज एमसीएच विंग प्रभारी के कार्यालय पर उमड़ पड़ी। इसके बाद शुरू हुआ राजनीतिक साम-दाम का खेल और मामले को पैचअप कराने की पुरजोर कोशिश। हालांकि राजनीतिक रंग के आगे प्रसूता की मौत और इंसाफ हार गया। परिजनों को दबाव और राजनीतिक साम-दाम के आगे घुटने टेकने पड़े। सुलह-समझौते के बाद परिजन मृत प्रसूता की बाडी लेकर चलते बनें। बता दें कि पूरे प्रकरण में सकलडीहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डा संजय यादव प्रसूता की मौत में चिकित्सक के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप से इनकार करने के साथ ही परिजनों को चिकित्सकों को मारने-पीटने का आरोप लगा उन्हें केस में फंसाने की धौंस देते नजर आए। एमसीएच विंग की महिला चिकित्सक डा अंजू यादव हमेशा से विवादों की सुर्खियों में बनी रहती, अधिकांशतः मरीज के तीमारदारों से उनकी नोंकझोंक चर्चा का विषय बनता है।
इलाज में लापरवाही बरतने और प्रसूता की मौत के बाद परिजनों के हंगामे का यह पहला केस एमसीएच विंग में नहीं है। इसके पूर्व भी कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं, जिसके कारण यहां के प्रबंधन पर दाग लग चुके हैं। हालांकि गौरतलब है कि आपरेशन कर डिलीवरी कराने का रिकॉर्ड एमसीएच विंग में सुर्खियों में रहता है, लेकिन रिकॉर्ड के साथ ही दागदार दामन और इलाज में कोताही बरतने की इंतिहा भी यहां देखी जाती है। कुछ इसी तर्ज पर रविवार की घटना भी सामने आई और बंद कमरे में हुई पंचायत, राजनीतिक धौंस के आगे इंसाफ का पोस्टमार्टम कर मामले पर लीपापोती कर दी गई।
महिला चिकित्सक को आरोपों से बचाने की जद्दोजहद इस कदर सामने आई कि एमसीएच विंग प्रभारी के.सी सिंह का कक्ष राजनीतिक नेताओं, पुलिस महकमें के अधिकारियों और आरोपी महिला चिकित्सक के पति डॉ संजय यादव द्वारा पंचायत भवन के रूप में तब्दील कर दिया गया। तमाम रणनीति और राजनीतिक दावपेंच के बाद आक्रोशित परिजनों पर केस दर्ज कराने की धमकी के साथ ही इंसाफ का पोस्टमार्टम करा दिया गया। लाचार परिजन प्रसूता की मौत का सदमा झेल बाडी को लेकर चलते बने। हालांकि पूरे प्रकरण में यह बात गौरतलब है कि जिस अस्पताल को आधुनिकता का रूप देकर सूबे की सरकार गरीब और लाचार मरीज के इलाज के लिए सहूलियत को ध्यान में रखते हुए हाईटेक बनाने की कोशिश में जुटी है। वहीं इलाज में कोताही बरतने वाले चिकित्सकों की गलती पर पर्दा डालने की पुरजोर कोशिश रंग लाती जा रही है।