पीडीडीयू नगर: लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर में आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आज दिनांक ८ अप्रैल को मंगल पांडेय बलिदान दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए डा सुशील त्रिपाठी राजनीति शास्त्र विभागाध्यक्ष, जगद्गगुरू रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत की पहली चिंगारी लगाने वाले देशभक्त मंगल पांडेय को बैरकपुर में 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई थी।
मंगल पांडेय के क्रांतिकारी विचारों और गतिविधियों से अंग्रेज सरकार इतना डर गए थे, कि तय तारीख से पहले ही 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई। 1856 में भारतीय सैनिकों को एक नई बंदूक एनफील्ड दी गई थी, बंदूक के कारतूस पर गाय और सूअर की चर्बी लगाई जाती थी। जिससे हिन्दू तथा मुसलमान सैनिकों में आक्रोश फैल गया और उन लोगों ने इसे अपने धर्म के साथ खिलवाड़ समझा। मंगल पांडेय ने इस बात का पुरजोर विरोध कर विद्रोह कर दिया। उनका नारा ‘मारो फ़िरंगी‘ १८५७ के विद्रोह में बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
२९ मार्च, १८५७ की दोपहर को मंगल पाण्डेय ने परेड मैदान पर ही मेजर ह्यूसन को गोली मार दी, उसके बाद अंग्रेजों ने अंग्रेजों ने मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया व उनका कोर्ट मार्शल करते हुए उन्हें फाँसी की सजा दी। मंगल पाण्डेय को फाँसी देने वाले जल्लादों ने ७ अप्रैल को जब ये जाना कि मंगल पाण्डेय को फाँसी देना है, तो उन्होंने मना कर दिया, बाद में ८ अप्रैल को कलकत्ता के जल्लादों ने फाँसी दी। इस अवसर पर पर प्रो0 संजय पाण्डेय, प्रो0 अमित राय, प्रो0 अरुण, डा0 भावना, डा0 गुलजबी, डा0 ब्रजेश , डा0 हर्ष, राहुल, रंजीत, सुनील आदि के साथ छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।